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वर्तमान युग एआई का है। अब तक एआई ने कई क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया है। चिकित्सा विज्ञान भी इसका अपवाद नहीं है। एआई ने अब चिकित्सा क्षेत्र में भी अपना कमाल दिखाया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से लोगों में हृदय रोग के जोखिम की पहचान करने के लिए एक प्रणाली विकसित की गई है।
अब एआई जिसकी मदद से हृदय रोग के जोखिम की पहचान केवल दो मिनट में की जा सकेगी। डॉक्टर ओपीडी में आने वाले मरीजों को बता सकेंगे कि उन्हें हृदय रोग का कितना जोखिम है। शनिवार को, मुंबई के एक निजी अस्पताल में महाराष्ट्र का पहला एआई-सक्षम हृदय रोग निवारण मॉडल लॉन्च किया गया।
जल्द ही सरकारी अस्पतालों में भी शुरू किया जाएगा
एआई के संस्थापक नमन गोसालिया ने कहा कि इसे जल्द ही सरकारी अस्पतालों में भी शुरू किया जाएगा। यह अध्ययन 2035 लोगों पर किया गया। इनमें से 62 प्रतिशत हृदय रोग के उच्च जोखिम वाले वर्ग में, 3 से 5 प्रतिशत कम जोखिम वाले वर्ग में और शेष मध्यम जोखिम वाले वर्ग में पाए गए। जबकि इन लोगों में रोग के लक्षण नहीं थे।
हृदय रोग के जोखिम की पहचान अब आसान
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अजीत देसाई ने कहा कि हृदय रोग लाखों भारतीयों को प्रभावित करता है और अक्सर इसका निदान देर से होता है। इसलिए, समय पर इसकी रोकथाम की पहल करते हुए, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ने भारत का पहला एआई-आधारित डॉक्टर असिस्टेंट एंजाइना एक्स एआई लॉन्च किया है। इससे मरीज के जोखिम की पहचान आसान हो जाएगी।
आम आदमी के लिए किफायती
हृदय रोग के जोखिम का आकलन कुछ ही मिनटों में किया जा सकता है, वह भी लक्षण दिखने से पहले। लोग यह एआई टेस्ट मात्र 108 रुपये के शुल्क पर करवा सकेंगे। पद्म भूषण और अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. अश्विन बी. मेहता ने कहा कि उन्नत एआई की मदद से हम नुकसान शुरू होने से पहले ही जोखिम का आकलन कर सकते हैं।
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